Monday 8 August 2016

हिन्दू धर्म 'इस्लाम' से कई गुणा बड़ा और सत्य है|


#फैज़ल अहमद (पूर्व मुस्लिम)
मैं पिछले छः महीने से "हिन्दू धर्म पर रिसर्च कर रहा था , अभी भी कर रहा और मुझे पता चला की मैं ये जन्म तक खोज करता रह जाऊंगा और न जाने कितना जन्म लेना पड़ेगा , हिन्दू धर्म जानने के लिए। वेद ,उपनिषद ,पुराण ,उप-पुराण ,ऋषि कृत्य विज्ञान ग्रन्थ ये सब मिला के लगभग १ लाख से ऊपर ग्रन्थ है। यह १६ भाषाओ में है जिसमे आधा से ज्यादा संस्कृत में है। अब ये ज़ाकिर नाइक जो बोलता है की वह इस्लाम और कम्पेरेटिव रिलिजन का विद्यार्थी है - और हिन्दुओ को ३-४ ग्रन्थ का आधा लाइन पढ़ के बरगलाता  देता है ? इसने सारे ग्रन्थ पढ़ लिए ? और जो भी २-४ पढ़ा -"क्या उसने उसपर कोई रिसर्च किया" ? आज मैं भी बाजार अगर जाता हूँ ग्रन्थ खरीदने तो सबसे पहले ये सोचता हूँ की ये कैसे पता चलेगा की इसका हिंदी या अंग्रेजी अनुवाद सही है ? कैसे पता चलेगा की जिसने भी इसका अनुवाद किया है वो इस ग्रन्थ को कांसेप्ट पढ़ा है और तब अनुवाद किया  है ?
क्योकि वेदों को छोड़ लगभग सारे बड़े -बड़े ग्रंथो में छेरछार की गयी।
जैसे - मनुस्मृति देख ले - विकिपीडिया भी कह रही "(मनुस्मृति) : The Manusmriti translated "Laws of Manu" is as an important work of Hindu law and ancient Indian society. The revised text is largely doctored during the British rule to spread disharmony among the people. ?असली मनुस्मृति जाने के लिए मनुस्मृति की बेसिक कांसेप्ट जानना होगा फिर आप असली और मिलावट की हुई अलग अलग कर सकते है।

वेदोऽखिलो धर्ममूलं स्मृतिशीले च तद्विदाम् । आचारश्चैव साधूनामात्मनस्तुष्टिरेव च ॥
Translation 1: The whole Veda is the (first) source of the sacred law, next the tradition and the virtuous conduct of those who know the (Veda further), also the customs of holy men, and (finally) self-satisfaction (Atmana santushti).
Translation 2: The root of the religion is the entire Veda, and (then) the tradition and customs of those who know (the Veda), and the conduct of virtuous people, and what is satisfactory to oneself.
— Manusmriti 2.6
इससे पता चलता है की मनुस्मृति "वेदों पर आधारित है" तो वेद के अनुकूल जो मिले वो रख ले और जो वेद विरुद्ध भाष्य /श्लोक मिले उसको हठा ले।

क्या ज़ाकिर नाइक एक सच्चा इंसान है ? वो मनुस्मृति को गलत तरह से प्रस्तुत करता है क्यों ? क्योकि वह मुर्ख है , मूर्खो वाली हरकते ,बाते भी करता  है। ज़ाकिर नाइक को क़ुरान का भी ज्ञान नहीं है और वो दूसरे धर्मो का टूटा फूटा ज्ञान बाटता है।

मैंने ऐसा उपदेशक आज तक नहीं देखा , जो खुलेआम चुनौती देता है अपने बिल से और जब कोई चुनौती कबूल करता है तो ये ज़ाकिर उस बन्दे से १०-१० साल तक भागते रहता है।  जैसे मैंने सुना पंडित महेंद्र पाल आर्य जी से २००४ से भाग रहा। ये एक बार एक ईसाई स्कॉलर को डिबेट के लिए बुलाया था पाकिस्तान में चल रहा था , ये २००२ की बात है , ईसाई स्कॉलर ने कुरान और विज्ञान पर चर्चा शुरू कर दी।  पाकिस्तान टीवी चैनलो ने रिकॉर्ड करना बंद कर दिया और ज़ाकिर से बात कर डिबेट कैंसिल कर दिया और अगले ही दिन अखबार में अपनी जित छपवा के इस्लाम को खतरे में आने से बचा लिया।  ज़ाकिर से डिबेट करने वाले कई स्कॉलर है जो डिबेट करना चाहता और वे सभी लोग का ज्ञान ज़ाकिर से कई गुना ज्यादा है।

ये ज़ाकिर नाइक सिर्फ २०-२० हज़ारो मूर्खो के बिच खड़ा होके आधा सच आधा झूठ आधा अपने हिसाब से मिलावट  कुछ भी बोलता। और मुर्ख लोग तालियां बाजाता रहता है क्योकि मुर्ख है। जो पढ़ाओगे वही पढ़ेगा।
इन इस्लामी मूर्खो को इतना भी ज्ञान नहीं है की "इस्लाम में ताली बजाना हराम है"- ये मैंने कभी एक सुन्नी मोलवियों को कहते सुना था। मतलब की २०-२० हज़ार अरबी मूर्खो को अपना इस्लाम का भी ज्ञान नहीं है।

आज मैं हिन्दू धर्म और इस्लाम महजब का अंतर समझाता हूँ , जितना भी मैंने हिन्दू धर्म जाना। मेरा एक आखरी सवाल अरबी बकरों से -
अल्लाह सातवाँ आसमान में है , अब ये बताओ किधर से किस दिशा में है ,चुकी क़ुरान में धरती चपटी है इसीलिए सीधा ऊपर देख लेता और बीच  में काबा भी रख दिया।  सबलोग चपटी धरती में कही से भी ऊपर देखता है अल्लाह को और काबा की तरफ ५ बार अरबी बोलता है जिसका अर्थ भी इनको नहीं पता।

पृथ्वी गोल है और और अपने अक्ष पर घुमते हुए सूर्य के चारो और चक्कर लगाता है।  अब ये बताओ तुम्हारे ऊपर जो आसमान है , तुमसे 90 डिग्री और घुमा के 180 डिग्री में जो भी देश है उसके लिए तो आसमान ठीक तुम्हारे उल्टा दिशा में होगा , मतलब की पैर के नीचे की तरफ देखो "तुमसे 180 डिग्री पर रहने वाला का आसमान तुम्हारे ७वे आसमान के ठीक उल्टा दिशा में है।  और दोनों बेवकूफ नमाज इधर उधर पढ़ रहा और ७वा आसमान  भी इधर उधर ऊपर नीचे समझ रहा।  exactly बता दो क़ुरान से की नमाज कैसे पढ़े और आसमान ऊपर ताके या नहीं ? किस देश के ऊपर में अल्लाह बैठा है ? और पृथ्वी भी कुरान में ही स्थिर है लेकिन वेदों में तो सूर्य की चक्कर काट रही।  अब बताओ अल्लाह भी अपना कुर्सी लेके पृथ्वी के साथ सूर्य का चक्कर काटता है  क्या ? एकदम सऊदी अरब के ऊपर ही रहना है ?

***** क्यों मुसलमान न बने***** 
१. दुनियां कितना भी विज्ञानमय हो जाएगा , इस्लाम का अकल वही ६००० आयत तक ही सिमट के रहेगा , इसका हलाल -हराम वही १५०० साल पुराना वाला चलते रहेगा। मेरा इनसे सवाल है "१५०० साल पहले न ही हवाईजहाज था न ही बन्दूक गोली फिर आज ये दोनों चीज़ कौन से हदीस से पढ़ के हलाल किये ?
जबकि हिन्दू धर्म समय के साथ हाथ से हाथ मिला के चलते आया है।

२. दुनियां कितना आगे बढ़ गयी - पहनावे,फैशन बदलते गए।  हिन्दू धर्म भी साथ साथ चलता गया। लेकिन ये इस्लाम वाले आज भी सर पे टोपी , नीचे पजामा ,बीच में नारा और बकरा ऐसा ढाढ़ी वो भी बिना मूछ का पहन के घूम रहा। अब इसमें भगवान ये भी डिसाइड करता है की क्या पहनो , कैसा फैशन करो ?

३. इन इस्लामी मूर्खो को इतना भी पता नहीं की "ये बुरखा कोई अल्ला का ज्ञान नहीं है , बल्कि अरब देश की जलवायु के अनुकूल है , वहा धुप ज्यादा रहती और उस समय बालू भी उड़ते रहती थी , इसीलिए महिलाये अपनी सुंदरता बचाने के लिए बुरखा पहन के खुद को तेज़ धुप और बालू से बचाती थी।  और ये मुर्ख ठंडी -गर्मी दुनिया में कही भी बुरखा पहन के घूमते रहता।

४. इस्लाम वाले इसमें बोलते है की इस्लाम में अश्लीलता हराम है इसीलिए बुरखा पहनने का आदेश अल्ला दिया ? अरे मूर्खो तो ये बताओ की ये "अश्लील बेली डांस" किसकी देन है। सुबह बुरखे पहन के घूमने वाली औरते , रात को बुरखे उतार के , आधे कपड़े में "अश्लील बेली डांस"क्यों  किया करती थी? ये सहाबी और इनके प्रधान की अश्लीलता , बलात्कार के १००० लिस्ट मैं सिर्फ क़ुरान और प्रामाणिक ६ हदीसो से निकाल दूंगा।
पता है न हर लूट में सबसे पहले औरते और लौंडिया लूटी जाती थी सहबियों द्वारा , सबसे सुन्दर प्रधान ले जाता था और बाकी को दासी बना के १ रात या २ रात हमेसा के लिए बेचा जाता था। प्रामाणिक हदीसे से दिखाऊ ?
और इतना ही नहीं बेचने वक्त सबके सामने पूरे कपड़े उतार के हाथ से , उंगली से चेक करके बेचा जाता था।
और इस्लामी बकरे कहते है "इस्लाम में औरतो को बहुत सम्मान है" . हमें पता है बाप-बेटी ,भाई -बहन ,चाचा भतीजी ,मामा-भांजी ?? बहुत पवित्र फतवा आता है "हदीसो और क़ुरान का हवाला से" .

५. सबसे बड़ी बात , की भारत में कितनो ने आक्रमण किया ,कितनो ने कई इलाके जीते पर सभी ने सत्ता ही हथियाया किसी ने भी औरत का बलात्कार नही किया  . लेकिन जब मुग़ल आया तो जहा भी राज किया वह पे बलात्कार की बारिश करता गया।  क्यों ? क्योकि ये शिक्षा सिर्फ इस्लाम महजब की ही देन है।  भारत में बलात्कार जैसी कुरीति मुगलो की ही देन रही है।

६. ये बकरे जैसी लंबी ढाढ़ी अरब देश की जलवायु के अनुकूल है , वह पे धूल बालू उड़ते रहती थी , तो दाढ़ी चेहरे का बचाव करता था।  भारत में कौन सी बालू उड़ के चेहरे पे आती है ? यहाँ पे बकरा बनने के पीछे क्या लॉजिक है ?

७. ये इस्लाम वाले कहते है खतना करने के पीछे मेडिकल विज्ञान है ? मेरा सवाल क़ुरान में खतना करने कहा पे कहा गया है ? अल्लाह कहता है क़ुरान में की "मैंने इंसानो को ठीक ठाक बनाया कोई कमी नी किया" . और शैतान कहता अल्लाह से की मैं तेरे बन्दे को गुमराह करूँगा , वो अपने शरीर के अंग से काट छाट करेगा। आज सब इस्लामी बकरे शैतान से गुमराह होके , शैतान का ही बात मान रहा और खतना कर रहा। शैतान अल्लाह से जीत गया।

८. अरे भाई , अरब में पानी की कमी रहती थी। और पेशाब के बाद मूतेंद्रिया को धोने में अधिक पानी बर्बाद होता था।  बस इसीलिए ये खतना की प्रथा चली , ताकि पानी बचे। आगे का थोड़ा काट देने से एक बून्द भी इधर उधर कपड़े में नहीं लगती। इससे कपड़ा भी बचा रहता था।  यही लॉजिक है खतना का। भारत में रहने वालो को खतना का कोई जरुरत नहीं और ये क़ुरान के अल्लाह के इंसान को ठीक ठाक  बनाने के दावे पर संकोच पैदा करता है ।

९. और हिन्दुओ से कहते हो की ये कैसा धर्म है जिसमे कही न कही परिवर्तन होते रहता है और इस्लाम में नहीं तो इसीलिए इस्लाम सही महजब है।
इन अरबी बकरों का इल्म भी उतना ही है "असल में हिन्दू कोई धर्म नहीं है - "Hinduism is a way of Life". धर्म तो सनातन है। जो वेदों पे आधारित है और कहाँ जाता की वेद आदि सृष्टि में आई और उसको बिलकुल भी बदलने का जरुरत नहीं पड़ा क्यों ? क्योकि ईश्वर का ज्ञान पूर्ण है और सबसे बड़ी बात हम कितना भी विज्ञानमय संसार में रहे , हम वेद को अभी भी फॉलो कर सकते और भविष्य में भी। क्योकि वेद खुद एक प्राचीन से लेकर आधुनिक विज्ञान की ग्रन्थ है। संसार कितना भी आगे चले जाए , वैदिक लोग भी साथ साथ चल सकता।

१०. हिन्दू गैर महजब वालो के साथ रह सकता (peacefully) , जैसा देश वैसा भेश-भूशा में बदल सकता। यहाँ हर अच्छे या सामान्य कार्य की आज़ादी है। यही कारण है की विश्व में हिन्दुओ को सम्मान के भाव से देखा जाता।

११. सनातन धर्म की सबसे बड़ी खासियत , इसमें ईश्वर अनंत है ठीक वैसे ही उनका ज्ञान भी अनंत है। इसीलिए इसमें वेदों को देख के ही हर काम करने नहीं कहता। वेद के अनुकूल , मानवता के अनुकूल भी अगर कोई कार्य हो जो वेदों में सीधा वर्णन न हो तो आप अपना दिमाग का उपयोग कर सकते जबकि इस्लाम में दिमाग को अल्ला को सरेंडर करना परता है।

१२. क़ुरान कहता है मुसलमान बनो जबकि वेद कहता "मनुर्भव: अर्थात मनुष्य बनो" . जिस तरह से इंजीनियरिंग का पढाई को नर्सरी के पढाई से कमपेयर नहीं किया जा सकता।  ठीक वैसे ही वेद इंजीनियरिंग की भाति है और क़ुरान नर्सरी की भाति।  कोई कमपेयर नहीं हो सकता।

१३. ज़ाकिर नाइक वेदों से वो सब बताता जो दूर दूर तक वेदों में कही भी नहीं है।  अरे ये इतना बड़ा मुर्ख है की इसको ये भी नहीं पता की वेद को समझने के लिए वैदिक संस्कृत आनी चाहिए और इसके लिए वेदांग पढ़नी पड़ती और वेदांग में भी छः शास्त्र आते है ( जिनमे व्याकरण ,छंद ,निरुक्त etc सब है , बिना अलंकार का तो वेद कुछ भी समझ नहीं आएगा )

१४. एक बार मैंने ज़ाकिर नाइक को वेद मन्त्र पढ़ते सुना , नमूना देखिए
""""""वासनतामुरुगायमद्य""""""""
ज़ाकिर नाइक - वासनता + मुरुगाय + मद्य ?
ये मुर्ख को संस्कृत पढ़ने भी नहीं आती , और ये वेद समझाता है।
तबतो इसके लॉजिक से हम इन सब शब्दो का संधि विछेद ऐसे कर सकते।

(१) विद्यालय - विद्या + लय ?
(२) हिमालय - हिमा + लय ?
******** ज़ाकिर - जा +किर ???********

शुद्ध होगा - "वासनताम +उरुगायम + अद्य" (पहले और दूसरे में हलंत भी रहेगा)

जो संस्कृत को ही अशुद्ध पढता वो क्या ख़ाक हिन्दू धर्म समझायेगा ?

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